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तुम बिन

तुम बिन
गुलशन-गुलशन फूल खिले हैं,
कहते सब हैं अब क्या रोना?
तुम हो तो सब कुछ अच्छा है-
तुम बिन होना भी क्या होना??

नभ की शोभा चाँद बढ़ाता,
शोभा सरिता की निर्मल जल।
हिम-आच्छादित पर्वत अच्छे,
तरु की शोभा हैं मीठे फल।
ढकी धरा भी पकी फसल से-
लगती है जैसे शुचि सोना।
  तुम बिन होना भी क्या होना??

गीत-और संगीत सभी प्रिय,
थाप मृदंगों की भी प्यारी।
पायल की झंकार निराली,
नृत्य-कला लगती अति न्यारी।
उच्च-शिखर से गिरते झरने-
करते झंकृत कोना-कोना।।
     तुम बिन होना भी क्या होना??

सभी प्राकृतिक अद्भुत छवियाँ,
मन को मोहित करती रहतीं।
विरही हिय की सारी पीड़ा,
हर के,सुख वे देती रहतीं।
सदा बतातीं सुनो सखे हे-
व्यर्थ तुम्हारा रोना-धोना।।
     तुम बिन होना भी क्या होना??

चंचल बहती पुरुवाई भी,
यद्यपि देती राहत तन को।
सुन कोयल की मीठी बोली,
मिलता है सुख प्रति-पल मन को।
सब हैं मिलकर मुझसे कहते-
नहीं तुम्हें है अब तो खोना।।
       तुम हो तो सब कुछ अच्छा है,
       तुम बिन होना भी क्या होना??
                 ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                     9919446372

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8 Comments

Pranav kayande

09-Jan-2024 04:18 AM

amazing

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Gunjan Kamal

08-Jan-2024 08:12 PM

👏👌

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Rupesh Kumar

07-Jan-2024 08:01 PM

Nice

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